tag:blogger.com,1999:blog-1588455206323917312.post534575293370799727..comments2011-10-28T04:47:03.645-07:00Comments on हमारा बचपन: भगवान याद आ रहें हैं।पुनीताhttp://www.blogger.com/profile/12971969644410179417noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-1588455206323917312.post-57590698512600305332009-06-07T02:56:16.381-07:002009-06-07T02:56:16.381-07:00किसी को असहाय देखो तो मन मे ऐसे भाव आना स्वाभाविक ...किसी को असहाय देखो तो मन मे ऐसे भाव आना स्वाभाविक है लेकिन उन्हे अभिव्यक्त करना बहुत कठीन होता है।मैने भी सालो मंदबुद्धी बालको का आश्रम चलाया है,वंहा मेरी मानसिक स्थिति भी करीब-करीब ऐसी ही रहती थी।बहुत सही कहा आपने इस्के बाद भी हम गाडी घोड़ा बंगला रूपया चांदी सोना के पीछे भागते रहते है बेवजह,ये जानते हुये भी की सब कुछ यंही छोड जाना है।Anil Pusadkarhttps://www.blogger.com/profile/02001201296763365195noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1588455206323917312.post-87127487591763798762009-06-06T11:58:22.529-07:002009-06-06T11:58:22.529-07:00waah ! waah !waah ! waah !Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/09116344520105703759noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1588455206323917312.post-88679495946142582462009-06-06T03:33:31.174-07:002009-06-06T03:33:31.174-07:00बहुत सार गर्भित पोस्ट लिखी है आपने...अगले क्षण का ...बहुत सार गर्भित पोस्ट लिखी है आपने...अगले क्षण का हमें भरोसा नहीं होता और बरसों की योजनायें बनाते रहते हैं...इश्वर है या नहीं कहना मुश्किल है लेकिन अगर है तो उसके द्वारा किये कुछ काम हमेशा मन को कटोचते रहते हैं...अगर हम सब उसी की संतान हैं तो क्यूँ वो अपनी ही संतान को दुःख देता है, आपस में लड़वाता है... किसी को हँसता है किसी को रुलाता है...क्यूँ?<br />नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.com