बहुत ही रोचक घटना हुई जो मुझे सोचने पर विवश कर दिया. घटना की जगह थी लेडी़ज ब्यूटी पार्लर. चार महिलाओं के बीच हुई बातचीत. ब्यूटिशियन ने काम खत्म करते ही औपचारिक तौर पर एक लेड़ी को कहा, (जो अपनी सासुमां के साथ गर्भावस्था के दौरान अपने को सुंदर दिखने के लिए आई थी) कि अपना ख्याल रखा करो, खूब हरी सब्जी, दाल वैगरह लिया करना. और अगली बार लड़डू लेकर ही आना। वो लेड़ी समझ गई कि उससे बेटे की फरमाइश की जा रही है. उसने तुरंत अपना कमान संभाला और दिया लेक्चर. जो मैं भी यदा कदा पहले दिया करती थी. कि अरे मेरे घर में तो किसी को बेटी की वैसी कोई ख्वाहिश नहीं हैं हमारे पापा बहुत अच्छे हैं. मेरी सासुमां( जो साथ ही में थी ) भी बहुत अच्छी है. टच वुड़ मुझे तो बहुत अच्छा ससुराल मिला है सभी कोई बहुत अच्छे हैं. और बेटा बेटी की कोई चिंता नहीं है.
इन सारे प्रवचन के बाद वे दोनो चले गए. रह गई तो हम और ब्युटिशियन. चूकि मुझे भी इन दिनों सुंदर दिखने का जुनून सवार है सो मैं अब उसके सीट पर बैठ गई. और अब मैं शुरू हो गई प्रवचन देने. चूकि मैं और ब्युटिशियन दोनों ही दो बेटियों की मां है तो जख्म हमारा हरा हो उठा. उसके भोलेपन पर दया आ रही थी मुझे. हमदोनों ने अपनी अपनी व्यथा गाथा सुनाई कि कैसे समाज तरह तरह से आपको अपमानित करता है और बेटे उत्पादन को प्रोत्साहित करता है। हमारा परिवार अगर सचमुच भी बहुत अच्छा रहा तो भी हमें हरबार अपमानित होना पड़ता है. कई बार कई तरीके से....
मजेदार बात तो उस घटना कि यह भी थी कि आज समय कितना बदल चुका है बहुऐं खुलेआम अपने सास ससुर की तारीफ कर रही है. मैं नहीं कह सकती लोक कथाओं में या चरित्र निर्माण की कथाओं के अलावा आप किसी औरत को अपने सास ससुर की बड़ाई करते सुने होंगे. औपचारिकता बस कोई कर दे तो बात अलग हैं. मन को छू लेने वाली बात कही थी उस औरत ने. सचमुच आज का समाज और आज का समय कलह को त्यागना चाहता है और वह अपनी बहुओं को खुलेमन से स्वीकार करता है. घटना एक दो ही सही पर है तो. एक दो में मेरा भी वैसा ही परिवार है पर मैं कभी मां पापा के सामने खुले दिल से स्वीकार नहीं कर पाती. शायद यह मेरा अहंकार हो या फिर मेरा झिझक. मैं वैसे भीरु स्वभाव से हूं और हमेशा ड़रती हूं. अपनी खुशहाल भाग्य पर इतराती जरुर हूं पर दूसरों से छुपाती भी हूं. जो भी हो. मेरी उस महिला को शुभाकामना है कि वह एक स्वस्थ बच्चा जन्मे और खुद भी जल्द स्वस्थ हो जाए.
शनिवार, 31 जनवरी 2009
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