सोमवार, 23 फ़रवरी 2009

आज मेरी मिठी का पहला जन्मदिन है


बेटियों के ब्लाग पर लिखे हुए मुझे लगभग साल भर होने जा रहा है. पीछले साल मैं अपनी बेटियों के विषय में लिखी थी. और आज पुन अपनी बेटियों के बारे में लिखने के लिए उत्सुक हूं. मन में तूफान उमड़ घुमड़ रहा है. यह तूफान पूरी तरह से खुशी की है और अपने को श्रेष्ठ समझने की.
मेरी बड़ी बेटी श्रुति के छह साल बाद मुझे दूसरी संतान सुख की प्राप्ती हुई. अति सुंदर, प्यारी, मोहक औऱ ना जाने शब्द ना खत्म होने वाली बिटिया की मैं मां बन गई। बिटिया के जन्म से घर में कहीं कोई अफसोस की लहर नहीं थी. कदाचित मन में हो रही तूफान को घर के लोग दबा रहें हो पर मुझ तक बात नहीं पहुंच पाती. यह मेरा सौभाग्य रहा कि मुझे कहीं से ताने बाने सुनने को नहीं मिले.
दिन गुजरते रहे हांलाकि हमने उसके आने की खुशी में कोई पार्टी नहीं की पर हर दिन हमारे घर में उसके आने के बाद उत्सव सा माहोल बना रहा. हम दिन दूनी रात चौगुनी प्रगती करते रहे. सुख और शांति तो हमलोगों के मन में पहले से थी पर अब सुकून का एहसास भी होने लगा था. उसके पैर इतने अच्छे कि हमलोग अपने नए घर में शिफ्ट कर गए.
मेरे सपने थे कि मैं नए घर में अपनी बिटिया को लाल रंग के वॉकर पर घूमती देखूं. और यह भी सपना सच हो गया. वह ज्योंहि बैठने लगी हमलोग नये घर में आ गए थे.

उसकी प्यारी हंसी..... कुछ नहीं कह पाऊंगी.

नाम हमलोगों ने उसका घर पर मिठी रखा है. और बाहर का नाम अनुभूति.
नाम को लेकर काफी लोग उसे कुछ भी कहते हैं. एक तीखी और एक मिठी. सचमुच ऐसी ही है पर ऐसा कहना किसी को नहीं चाहिए. मेरी श्रुति को बुरा लगता है. श्रुति को पानीपत में उसका एक प्यारा सा दोस्त श्रुति प्रुति कहता था तो वह बहुत खुश होती थी. तो मेरी मिठी को खट्टी-मिठी, या मेथी या मिट्टी कहकर लोग प्यार से उसका नाम बिगाड़ते हैं. और वह बहुत शालीन है. जब से उसके पैर हुए हैं मतलब जब से वह चलना सीखी है बस चलती रहती है. दिनभर चलती रहेगी. औऱ कुछ कुछ सामान छुती रहेगी. बर्तन फैला कर खेलेगी, आलमारी से कपड़े निकाल कर इधर उधर बीखेरेगी, और ना जाने हमारा घर कई सामानों से बीखरा रहेगा. किसी की अगर चीज नहीं मिल रही हो तो सबका पहला शक मिठी पर ही जाता है. चार्जर कहां है भाई- तो पलंग के पीछे होगा, मिठी का पैंट नहीं मिल रहा वह भी पलंग के पीछे, सुबह का अखबार भी प्राय वहीं मिल जाएगा. मोबाइल बजता हो और कहीं ना मिले तो हमपहले पलंग के नीचे ही खोजते हैं.
उसे मैं कहीं ले जाती हूं तो मुझे बड़ा फक्र होता है. अब मुझे जाननेवाले कई लोग सोचेंगे कि क्या मैं अपनी बड़ी बेटी को भूल गई हूं. तो भाई कतई नहीं. मेरी दोनो बेटियां मेरी दो मजबूत बाजू है. मुझे दोनो पर बड़ा गर्व है. श्रुति काफी तेज है दिमाग से और काफी उर्जावान. मिठी गंभीर है और अभी उसकी तेजी का पता नहीं चला है. मैं वैसी मां नहीं हूं कि बच्चे ने सक्रूड्राइवर क्या घूमा दिया तो कहने लगे अरे मेरा बच्चा तो इंजिनीयर बनेगा. मेरी श्रुति पढ़ाई में ड़ांस में बोलने में तेज है.
श्रुति स्कूल जाते समय कहते हुए जाती है कि आज मैं तेरा नाम रौशन कर के आऊंगी. मतलब की स्कूल में प्रेयर के समय कोई भी मोरल स्टोरी सुना कर आऊंगी. मैं उसे मोरल स्टोरी याद करवाती हूं और वह पांच मिनट तक स्टोरी सुना कर आती है.
आज मेरी बिटिया का जन्मदिन है. वह पूरे साल भर की हो गई. प्यारी सी, खूबसुरत सी मेरी बेटी कुछ वर्षो में यूं ही बर्थडे मनाते हुए मुझ से दूर चली जाएगी. मुझे पता है ऐसा सब के साथ होता है। .....
सो इसलिए मैं आज का दिन भरपूर जीऊंगी. हर दिन उसका मेरे साथ किमती रहेगा. वह मेरे पास अपने व्यक्तिव विकास के लिए है उसके बाद तो उसे खुद ही अपना जीवन को मुकाम पर लाना है।