सोमवार, 25 अगस्त 2008

मेरी बेटियों का कारनामा

मेरी इच्छा आज थोड़ी सी जग उठी और मैने सारे काम को दरकिनार कर के कुछ अपनी बेटियों के बारे में लिखने का निश्चय किया. मेरी दो बांह मेरी बेटियां अब बडी़ हो रही है. बड़ी बेटी तो सात साल की होने वाली है पर काफी बड़ी हो गई है आश्चर्यजनक रुप से. उसकी हरकत और मेरे और अपने पापा के प्रति केयरिंग नेचर देखने लायक होता है. श्रुति मेरी छह माह की बेटी का जब पाटी साफ करने में भी नहीं हिचकती. सुबह उठकर कहती हैं कि मिठी को देखकर कि अरे, मेरी बेटी उठ गई। बहुत प्यार करती है. दूसरे को गोद लेने नहीं देती अगर वह अपने घर का आदमी नहीं है तो.
एक दिन तो गजब ही हुआ कि मैं श्रुति को डाँट रही थी फिर मुझे लगा कि कहीं उसे यह ना लगे कि मुझे डांटती है और मिठी को नहीं डांटती तो मैने उसे भी कुछ कुछ बोलना शुरु किया. फिर देखना था कि उसने मिठी को गोद में उठा लिया और खूब रो रो कर कहने लगी मुझे डांटती हो तो कोई बात नहीं पर मिठी को डांटी ना तो मैं पापा से कह दुंगी...
मुझे बड़ा मजा आया और मैं बहुत खुश हुई और दुआ की कि ऐसे ही प्यार दोनो में सदा बना रहे तो ये दोनो की जिन्दगी मजे से एक दूसरे को सहारा देते हुए कट जाएगी.
मेरी श्रुति को पिछले दिनों 14 अगस्त के प्रोग्राम में डांस करना था। और उसकी तैयारी तो उसने कर ली थी पर साजो समान की तैयारी करने में हम दोनो को नानी दादी याद आ गई। उसके पापा आफिस का फस्ट हाफ छोडकर चुडियां खरीदने गए. मैं काफी बीमार थी इसलिए कुछ कर ना सकी. पर चुडियां ले कर साथ में और कई सामान ले कर आए तो मैं सोचने पर मजबूर हो गई कि बीते आठ सालों में शायद ही इन्होने मेरे लिए चुडियां खरीदी हो पर बेटी के लिए खरीदने के लिए आफिस तक की बली चढा दी.
मेरी श्रुति के हिन्दी के शब्दकोश बहुत तगड़े हैं. अभी पोटी जाते वक्त मुझ से कह रही है कि मुझे तीन बार दस्त आ गए हैं. मैने दस्त शब्द सिफ्र सुना है बातचीत में कभी प्रयोग नहीं कर पाती. श्रति गाना गा रही थी तो शब्द आया -बाबुल- मैने सिफ्र जानने के लिए पुछा कि बाबुल का मतलब क्या होता हैं तो आश्चर्य में रह गई कि उसने ठीक बताया. कई बार उसने हमलोगों को आश्चर्य में डाल दिया है. उसकी याद्दाश्त गजब की है।
तो यह है मेरी बेटियां. मैं उनके साथ जी रही हूँ और यह सोच रही हूँ यह हमारे उन सपनों को सच करेगी जिन्हें मैं करना चाहती थी.